Skip to main content

Contact us

Email--Kashtoppo@gmail.com

Comments

Popular posts from this blog

भूगोल

 तापमान का प्रतिलोम       सामान्यतः छोभ मंडल में धरातल से ऊंचाई की ओर बढ़ने पर तापमान घटता जाता है परंतु सामान्य ताप  ह्रास के विपरीत कभी-कभी कालीक व स्थानीय रूप  से ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता जाता है, इसे 'ऋणात्मक ताप ह्रास दर' कहते हैं,इससे नीचे अपेक्षाकृत ठंडी वायु की परत तथा उसके ऊपर गर्म वायु की परत की दशा उत्पन्न हो जाती है इस दशा को तापमान का प्रतिलोमन कहा जाता है।  तापमान प्रतिलोमन ध्रुवीय प्रदेशों मध्य अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों तथा घाटियों में अधिक होता है गर्म एवं ठंडी जल धाराएं के संगम स्थल पर भी यह दशा उत्पन्न हो जाती हैं तापमान प्रतिलोमन के प्रकार  तापमान प्रतिलोमन को तीन प्रमुख वर्गों में विभक्त किया जाता है         1 तापीय प्रतिलोमन या अप्रवाही प्रतिलोमन         2  अभिवहनीय या सम्परकीय प्रतिलोमन         3   यांत्रिक प्रतिलोमन 1) तापीय प्रतिलोमन या अप्रवाही प्रतिलोमन       इस तरह के प्रतिलोमन में केवल पार्थिव विकिरण...

इतिहास

अकबर की धार्मिक नीति :व्याख्या एवं मूल्यांकन अकबर की धार्मिक नीति : विभिन्न चरण अकबर की महानता का आधार उसकी धार्मिक नीति ही थी. इससे पहले सल्तनतकालीन शासक किसी उदार धार्मिक दृष्टिकोण से प्रेरित नहीं दिखे थे. यद्यपि भारत में द्वितीय अफगान साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह द्वारा कुछ प्रयास अवश्य किया गया, तथापि इस दिशा में अकबर की सोच का एक विस्तृत आयाम था, जो उसकी धार्मिक नीति में दृष्टिगोचर होता है. अकबर की धार्मिक नीति के विभिन्न पक्षों को तीन चरणों में बांटकर समझा जा सकता है. प्रथम चरण [1556-1573] 1556 में राज्याभिषेक के बाद 1560 ई. तक अकबर अपनी प्रारंभिक समस्याओं के निराकरण में व्यस्त रहा. तत्पश्चात अकबर के विभिन्न दृष्टिकोणों को देखा जा सकता है, जो विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित थे, जैसे- अकबर की राजपूत नीति, अकबर की धार्मिक नीति एवं अकबर की दक्षिण नीति आदि. यहां हम अकबर की धार्मिक नीति के विभिन्न पक्षों को समझने का प्रयास करते हैं. अकबर की धार्मिक नीति के प्रथम चरण में 1556-1573 की अवधि को लिया जा सकता है. सत्ता ग्रहण करने के कुछ वर्षों बाद ही अकबर ने अपनी उदारता का परिचय दिया. 15...