तापमान का प्रतिलोम
सामान्यतः छोभ मंडल में धरातल से ऊंचाई की ओर बढ़ने पर तापमान घटता जाता है परंतु सामान्य ताप ह्रास के विपरीत कभी-कभी कालीक व स्थानीय रूप से ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता जाता है, इसे 'ऋणात्मक ताप ह्रास दर' कहते हैं,इससे नीचे अपेक्षाकृत ठंडी वायु की परत तथा उसके ऊपर गर्म वायु की परत की दशा उत्पन्न हो जाती है इस दशा को तापमान का प्रतिलोमन कहा जाता है।
तापमान प्रतिलोमन ध्रुवीय प्रदेशों मध्य अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों तथा घाटियों में अधिक होता है गर्म एवं ठंडी जल धाराएं के संगम स्थल पर भी यह दशा उत्पन्न हो जाती हैं
तापमान प्रतिलोमन के प्रकार
तापमान प्रतिलोमन को तीन प्रमुख वर्गों में विभक्त किया जाता है
1 तापीय प्रतिलोमन या अप्रवाही प्रतिलोमन
2 अभिवहनीय या सम्परकीय प्रतिलोमन
3 यांत्रिक प्रतिलोमन
1) तापीय प्रतिलोमन या अप्रवाही प्रतिलोमन
इस तरह के प्रतिलोमन में केवल पार्थिव विकिरण तथा उष्मा ह्रास में प्रत्यक्ष संबंध होता है पवन का संचार नगर में होता है। ऊंचाई के आधार पर तापीय प्रतिलोमन को दो वर्गों में विभक्त करते हैं
a . धरातलीय प्रतिलोमन
b . उच्च स्तरीय प्रतिलोमन
a. धरातलीय प्रतिलोमन
यह धरातल के निकट वायुमंडल के सबसे निचले भाग में घटित होता है ।इस तरह का प्रतिलोमन मुख्य रूप से मध्य तथा उच्च अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों में जाड़े की लंबी रात के समय प्राप्त होता है ।रात्रि के समय पृथ्वी को सूर्य की ऊष्मा की प्राप्ति समाप्त हो जाती हैं जबकि पार्थिव विकिरण की तेजी से जारी रहने के कारण उष्मा का नाश अधिक हो जाता है जिस कारण धरातल ठंडा हो जाता है तथा इसके संपर्क में आने वाली वायु भी ठंडी हो जाती है जबकि इसके ठीक ऊपर उष्मा का कम होने के कारण गर्म वायु की परत होती है परिणाम स्वरुप नीचे तापमान कम (ठंडी वायु )तथा ऊपर तापमान ज्यादा( गर्म वायु )की उपस्थिति से तापमान प्रतिलोमन की दशा उत्पन्न हो जाती है।
इस प्रकार के ताप प्रतिलोमन के लिए निम्नलिखित अनुकूल दशाएं आवश्यक हैं
A .जाड़े की लंबी रात
ताकि पार्थिव विकिरण प्रवेशी सूर्य विकिरण से अधिक हो जिस कारण प्राप्त ऊष्मा से नष्ट ऊष्मा अधिक हो और धरातल का तापमान ऊपर से कम हो जाए
B. बादल रहित स्वच्छ आकाश
ताकि पार्थिव विकिरण द्वारा ऊष्मा का ह्रास तीव्र तथा अबाध गति से संपन्न हो सके
C. शुष्क पवन
धरातल के पास शुष्क पवन हो ताकि वह पार्थिव विकिरण का अधिक अवशोषण ना कर सके जलवाष्प से युक्त आद्र पवन पार्थिव विकिरण का अधिक अवशोषण कर लेता है
D. पवन संचार मन्दएवं वायुमंडल शांत स्थिर
ताकि तापमान का स्थांतरण तथा मिलावट ना हो सके
E. हिमाच्छादित धरातल
जिससे सौर विकिरण का अधिकाधिक परावर्तन हो सके हिम् ताप का कुचालक होने के कारण उष्मा का ऊपरी प्रवाह रोक देता है अर्थार्थ धरातल के नीचे की उष्मा ऊपर जाकर वायुमंडल को गर्म नहीं कर पाती है
चूंकि इस तरह का प्रतिलोमन वायुमंडल की स्थिति में संपादित होता है अतः इसे स्थिर प्रतिलोमन या अप्रवाही प्रतिलोमन भी कहा जाता है।
b. उच्च वायुमंडलीय प्रतिलोमन
यह प्रतिलोमन दो प्रकार का होता है
अप्रवाही उच्च वायुमंडलीय प्रतिलोमन
यांत्रिक प्रतिलोमन
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